प्रशिक्षण / चेतना सत्र में प्रयोग हेतु अभियान गीत
अभियान गीत:
1. हो जाओ तैयार साथियों हो जाओ तैयार साथियों- अभियान गीत
हो जाओ तैयार साथियों हो जाओ तैयार साथियों ,
हो जाओ तैयार ,
अर्पित कर दो तन मन धन ,
मांग रही शिक्षा अर्पण ,
शिक्षा के जो काम न आए ,
तो जीवन बेकार ,
हो जाओं तैयार साथियो , तो जीवन बेकार ,
हो जाओं तैयार साथियो ,
हो जाओ तैयार ।।
सोचने का समय गया ,
उठो लिखो इतिहास नया जवाब ,
उजियाले से दे दो तुम दुनिया को जवाब ,
दुनिया को साथियों , ।। दुनिया को जवाब ,
हो जाओं तैयार साथियो , हो जाओ तैयार ।।
तूफानी गति रुके नही ,
पाँव थके पर थमे नही ,
उठे हुए माथे के आगे ,
ठहर न पाती हार ,
ठहर न पाती हार साथियों , ठहर न पाती हार साथियों ,
हो जाओं तैयार साथियो , हो जाओ तैयार ।।
कांप उठे धरती अम्बर ,
और उठाओ ऊंचा सर ,
कोटि कोटि कंठों से गूंजे ,
शिक्षा की जयकार ,
हो जाओं तैयार साथियो , हो जाओ तैयार ।।.
2. अपनी शिक्षा चलो बाँट आएँ– अभियान गीत
खुद पढ़ें सबको पढ़ना सिखाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं
सबके होठों पे कलियां खिली हो
सबके पलकों पे खुशियां सजी हो
आओ शिक्षा की फसलें उगाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं खुद पढ़ें सबको ..
है बड़ी खुबसूरत कहानी
जिसको कहते हैं हम जिन्दगानी
इनको हर पल को मोती बनाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं
खुद पढ़ें सबको पढ़ना …
लगी है जो निरक्षरता की काई
जिन्दगी से इनको हटावैं
आओ साक्षरता गीत को गाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं
खुद पढ़ें सबको ….
अभिशाप बनी है अशिक्षा
संकल्प लेकर जड़ से मिटाएं
आओ शिक्षा की अलख जगाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं
खुद पढ़ें सबको पढ़ना सिखाएं
अपनी शिक्षा चलो बांट आएं ।
3. देश की माटी देश का जल– अभियान गीत
देश की माटी देश का जल
हवा देश की देश के फल
सरस बनें प्रभु सरस बने
देश के घर और देश के घाट
देश के वन और देश के बाट
सरल बनें प्रभु सरल प्रभु
देश के तन और देश के मन
देश के घर के भाई – बहन
विमल बनें प्रभु विमल बनें
देश की इच्छा , देश की आशा
काम देश के , देश की भाषा
एक बने प्रभु , एक बने
देश की माटी देश का जल
हवा देश की देश के फल
सरस बनें प्रभु सरस बने
4. मौसम बदलने लगा है– अभियान गीत
फिर धीरे – धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,
वातावरण सो रहा था अब आँख मलने लगा है ।
पिछले सफ़र की न पूछो , टूटा हुआ एक रथ है ,
जो रुक गया था कहीं पर , फिर साथ चलने लगा है ।
धीरे – धीरे मौसम बदलने लगा है ।
हमको पता भी नहीं था , वो आग ठंडी पड़ी थी ,
जिस आग पर आज पानी सहसा उबलने लगा है ।
धीरे – धीरे मौसम बदलने लगा है ।
जो आदमी मर चुके थे , मौजूद हैं इस सभा में ,
हर एक सच कल्पना से आगे निकलने लगा है ।
धीरे – धीरे मौसम बदलने लगा है ।
ये घोषणा हो चुकी है , मेला लगेगा यहाँ पर ,
हर आदमी घर पहुँचकर , कपड़े बदलने लगा है ।
धीरे – धीरे मौसम बदलने लगा है ।
5. हर देश में तू हर भेष में तू– अभियान गीत
हर देश में तू हर भेष में तू
तेरे नाम अनेक तू एक ही है
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि यह विश्व भरा
सब खेल में मेल में तू ही तो है ||
सागर से उठा बादल बनके
बादल से फटा जल हो करके |
फिर नहर बना नदियाँ गहरी
तेरे भिन्न प्रकार तू एक ही है |
हर देश में तू हर भेष में तू
तेरे नाम अनेक तू एक ही है
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
मिट्टी से भी अणु – परमाणु बना
तूने दिव्य जगत का रूप लिया ।
फिर पर्वत – वृक्ष विशाल बना
सौंदर्य तेरा तू एक ही है |
हर देश में तू हर भेष में तू
तेरे नाम अनेक तू एक ही है
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
6. लहू का रंग एक है– अभियान गीत
लहू का रंग हैं अमीर क्या गरीब क्या
बने हैं एक खाक से तो दूर क्या गरीब क्या ।
वही है तन वही हैं जान कब तलक छुपाओगे
पहन कर रेशमी लिबास तुम बादल न जाओगे ।
सभी हैं एक जाती हम स्वर्ग क्या अवर्ण क्या
लहू का रंग एक हैं अमीर क्या गरीब क्या ।
गरीब हैं तो इसलिए कि तुम अमीर हो गए
एक बादशाह हुआ तो सौ फकीर हो गए ।
खता हैं सब समाज की भले बुरे नसीब क्या
लहू का रंग एक हैं अमीर क्या गरीब क्या ।
जो एक हैं तो फिर न क्यूँ दिलों का दर्द बाँट ले
जिगर कि प्यार बाँट ले लबोन की प्यास बाँट लें
लगा लो सबको तुम गले हबीब क्या रकीब क्या
लहू का रंग एक हैं अमीर क्या गरीब क्या ।
कोई जने हैं मर्द तो कोई जनी हैं औरतें
शरीर में भले हो फर्क रूह सभी कि एक है ।
एक हैं जो हम हम सभी विषमता की लकीर क्या
लहू का रंग एक हैं अमीर क्या गरीब क्या ।