what is Diksha / दीक्षा क्या है ?
निपुण भारत योजना के अंतर्गत दीक्षा Diksha portal को भी आरंभ किया गया है। दीक्षा Diksha portal के माध्यम से ई कॉन्टेंट उपलब्ध करवाया जाएगा। जो कि स्थानीय भाषा में होगा। यह ई कॉन्टेंट शिक्षकों एवं छात्रों दोनों के लिए उपलब्ध होगा। दीक्षा Diksha portal पर उपलब्ध कॉन्टेंट एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया जाएगा। शिक्षकों के लिए कई प्रकार के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाधन भी दीक्षा Diksha portal पर उपलब्ध होंगे। जैसे कि प्रशिक्षण मॉड्यूल, प्रशिक्षण सत्रों के लिए सहायक सामग्री, वीडियो, पढ़ने के संसाधन, शिक्षक पुस्तिका आदि। दीक्षा Diksha portalको ऐप के माध्यम से भी संचालित किया जा सकता है। शिक्षा विभाग द्वारा जल्द गूगल प्ले स्टोर एवं एप्पल एप स्टोर पर दीक्षा Diksha एप लांच किया गया है।
दीक्षा Diksha Portal का उपयोग क्या है ?
- प्रशिक्षण के उद्देश्य को परिभाषित करना
- उपलब्ध कांटेक्ट का लाभ उठाना
- टीचर्स की ऑनबोर्डिंग
- राज्य सहायता टीमों को प्रशिक्षण प्रदान करना
- संचार एवं आउटरीच
- साक्षरता के लिए डिजिटल सामग्री
दीक्षा Diksha Portal पर निम्नलिखित प्रकार की सामग्री का उपयोग करके आधारभूत साक्षरता प्राप्त की जा सकती है।
- Diksha Portal पर टाइप करने के साथ पढ़ना
- व्याकरण प्रश्न बैंक के माध्यम से
- कंप्रीहेंशन पढ़ने से
- Diksha Portal पर बाल साहित्य की उपलब्धता
बालवाटिका क्या है ?
बालवाटिका – बच्चों के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था पढ़ाने के लिए खेलने के लिए और अन्य क्रियाकलाप करने के लिए हो ऐसे व्यवस्थित रूम को ऐसे व्यवस्थित भौतिक परिवेश को हम बाल वाटिका के नाम से जानते हैं बाल वाटिका का शाब्दिक तात्पर्य ही है जहां पर बालक अपने मनचाही क्रियाकलाप कर सके मतलब बालक की वाटिका
नई शिक्षा नीति के तहत बाल वाटिका 5 से 6 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए होंगे। जहां बच्चों को खेल-खेल में सिखाया जाएगा। इस स्कूल का उद्देश्य नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को खेल-खेल में स्कूल के लिए तैयार करना है। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास करना है नई शिक्षा नीति में शिक्षा विभाग के ढांचे में बड़ा बदलाव किया गया है। सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ होनी है। नई शिक्षा नीति में इसका प्रावधान किया गया है। इस कक्षा को बालवाटिका नाम दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 का प्रावधान किया जाएगा। नए प्रावधानों के अनुसार 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए फाउंडेशन स्टेज की बात कही गई है। इसमें दो साल आंगनबाड़ी के होंगे। इसके बाद एक साल बालवाटिका का और फिर पहली और दूसरी कक्षा होगी। यह तीनों कक्षाएं स्कूल में संचालित होगी।
बालवाटिका के लिए महिला बाल विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण देकर शिक्षा विभाग की मांग के अनुसार शिक्षक उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान रखा गया है। इससे सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ हो सकेंगी। बालवाटिका के लिए शिक्षा विभाग को महिला एवं बाल विकास के भरोसे ही रहना है। इन स्कूलों के लिए शिक्षा विभाग के पास ट्रेंड शिक्षक न होने के कारण बाल विकास विभाग के ही कार्यकर्ता बच्चों को बाल वाटिका में अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षा देंगे।
बालवाटिका क्यों शुरू किए जा रहे है ?
बच्चों को खेल-खेल में स्कूल के लिए तैयार करना – वर्तमान में इस तरह का कांसेप्ट निजी स्कूलों में ही देखने को मिलता है। जहां पर खेल के जरिए बच्चों को स्कूलों के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन अब ये सरकारी स्कूलों को भी अपनाना है। जिससे बच्चे को पहले बेहतर माहौल दिया जा सके। बाल वाटिका के बाद बच्चे स्कूल में कक्षाएं देने के लिए तैयार किए जाएंगे।
शिक्षा विभाग ने भी नए प्रावधानों के आधार पर दो साल आंगनबाड़ी के बाद एक साल रहेगी बालवाटिकानई शिक्षा नीति में शिक्षा विभाग के ढांचे में बड़ा बदलाव होगा। सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ करने की तैयारी है। नई शिक्षा नीति में इसका प्रावधान किया जा रहा है। इस कक्षा को बालवाटिका नाम दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 का प्रावधान किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने भी नए प्रावधानों के आधार पर तैयारी प्रारंभ कर दी है।नए प्रावधानों के अनुसार 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए फाउंडेशन स्टेज की बात कही गई है। इसमें दो साल आंगनबाड़ी के होंगे। इसके बाद एक साल बालवाटिका का और फिर पहली और दूसरी कक्षा होगी। यह तीनों कक्षाएं स्कूल में संचालित होगी।
बालवाटिका के लिए महिला बाल विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण देकर शिक्षा विभाग की मांग के अनुसार शिक्षक उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान रखा जाएगा। इससे सरकारी स्कूलों में भी प्री प्राइमरी कक्षाएं प्रारंभ हो सकेंगी। हालांकि शिक्षा विभाग के सामने प्री प्राइमरी के लिए योग्य शिक्षकों की कमी रहेगी। इसके लिए उसे महिला बाल विकास विभाग के भरोसे रहना पड़ेगा। इसके बाद तीन साल तीसरी से पांचवीं तक, तीन साल छठी से आठवीं तक और 4 साल नवीं से बारहवीं तक का प्रावधान रहेगा।
ECCE का फुल फॉर्म क्या है ?
EARLY CHILDHOOD CARE AND EDUCATION ( प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षा)
ECCE से आप क्या समझते हैं ?
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करती है या बच्चों की औपचारिक एवं व्यवस्थित शिक्षा का प्रथम चरण है इसे प्री स्कूल या पूर्व प्राथमिक शिक्षा भी कहते हैं इसकी शिक्षा आंगनवाड़ी ,नर्सरी स्कूल ,की प्री प्रेटरी स्कूल, किंडर गार्डन ,मांटेसरी स्कूल तथा सरकारी या गैर सरकारी विद्यालयों स्थित प्री प्राइमरी सेक्शन के माध्यम से प्रदान की जाती है
CECED का फुल फॉर्म क्या है ?
सेंटर फॉर अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन एंड डेवलपमेंट
AECEA का फुल फॉर्म क्या है ?
अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन इंपैक्ट स्टडी
Readiness क्या है ?
तैयारी करना- इस मैन्युअल के तीन भाग हैं जैसे- 1.बच्चे की तैयारी( रेडी चिल्ड्रन) 2.विद्यालय की तैयारी (रेडी स्कूल) और 3.माता-पिता की तैयारी (रेडी पैरंट)
- बच्चों की तैयारी-
- बच्चों की तैयारी से तात्पर्य है विद्यालय में प्रवेश करने और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए बच्चों में विभिन्न दक्षताओंऔर कौशलों को विकसित करना
- बच्चों की तैयारी अर्थ है – उनमें पढ़ने , लिखने व संख्या के प्रति रुचि जागृत करना
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विद्यालय की तैयारी
- बच्चों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा और अध्यापक द्वारा बोले जाने वाली भाषा में समानता का होना
- तैयार विद्यालय एक ऐसी जगह जहां बच्चे सुरक्षित और संरक्षण महसूस करते हो
- विद्यालय बच्चों के सीखने के अनुभव आधारित और अर्थपूर्ण को बनाने का प्रयास करते हैं
- बच्चों को हर प्रकार की गतिविधि करने का अवसर प्रदान किया जाए
- बच्चों के भावनात्मक विचारों को सुनना चाहिए और उस पर काम करना चाहिए
- बच्चों को सीखने की निरंतरता को बनाए रखने के लिए चीजों को जोड़ते रहना चाहिए
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा क्या है ?
सीखने का एक गैर औपचारिक खेल आधारित तरीका
प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा क्या नहीं है ?
औपचारिक रूप से अनुशासन में रहकर शिक्षा देना
3.तैयार माता – पिता / परिवार
माता-पिता की तैयारी का मतलब होता है- अभिभावकों को घर के अंदर सीखने का ही बेहतर माहौल बनाना चाहिए क्योंकि यह बाद में बच्चों के विद्यालय प्रदर्शन को प्रभावित करता हैसही समय पर अपने बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए माता-पिता की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करना
प्रारंभिक शिक्षा के महत्व प्रारंभिक कार्य घर की भाषा में सीखना और खेल के माध्यम से सीखने के महत्व पर समुदाय के सदस्यों माता-पिता और देखभाल करने वालों को जागरूक करना है
जगुरुक कैसे करे ?
1.PTM का आयोजन करना-
आंगनवाड़ी कार्यकत्री व शिक्षक द्वारा महीने में एक बार या 3 महीने में एक बार आयोजित अभिभावक शिक्षक बैठक करनी चाहिए जिसमें बच्चों की प्रगति व उनकी रोज के बारे में बातचीत करनी चाहिए
2. ECCE दिवस मानना-
प्रारंभिक शिक्षा एवं देखभाल के अंतर्गत बच्चों के माता-पिता में जागरूकता पैदा करने के लिए ईसीसीई दिवस जैसे कार्यक्रम के आयोजन करना चाहिए कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और खेलों का आयोजन भी किया जाना चाहिए
3.संयुक्त गतिविधियों की योजना बनाना-
नामांकित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संयुक्त रूप से दिन और समय तय कर सकते हैं जैसे प्रत्येक महीने की आखिरी शुक्रवार या शनिवार को लगभग 11:00 बजे ऐसी गतिविधियां होनी चाहिए
इसके लिए उन्हें एक साथ बैठना होगा और गतिविधियों की योजना बनानी होगी तथा गतिविधियों के संचालन के लिए शिक्षण सामग्री की आवश्यकता पड़ने पर उनकी व्यवस्था भी करनी होगी अपने विद्यालय से संबंधित हेड टीचर और पर्यवेक्षक को योजना के बारे में बताना होगा और उन्हें बदले में सुनिश्चित करना होगा कि वह योजना को ठीक क्रियान्वित करें आंगनवाड़ी केंद्र और विद्यालय के बच्चों को गतिविधियों के बारे में और उन में उनकी भूमिका और अपेक्षाओं के बारे में पहले ही बताना होगा
Important Question ;
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what is Diksha दीक्षा क्या है ?